शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

लघु कथा -(11 ) हादसा

हादसा 



 सासू माँ ,  बेटा और नयी नवेली बहु को शहर के प्रतिष्ठित बाबा जी के पास आशीर्वाद दिलाने गयी थीं। बाबा जी ने आशीर्वाद के साथ साथ अपनी गुरु गंभीर वाणी से ताकीद किया कि आने वाले एक साल में कोई बड़ा हादसा हो सकता है सो सावधान रहें। सासु माँ घबरा कर वहीँ बेहोश गयीं,पर ये बड़ी हादसा तो नहीं थी। अगले दिन दोनों हनीमून पर निकले ,रास्ते भर बहू घबराती रही कि प्लेन जरूर क्रैश होगा ,पर ना होना था सो नहीं हुआ। समुद्र किनारे ना खुद नहाईं ना पति को। लौटने में तो हादसा होने की पूरी गुंजाइश थी पर नहीं हुआ। पति के साथ उसकी पोस्टिंग पर जा रही थी ,ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त होने की बहुत संभावना थी ,डरी सहमी बस मौत का इन्तेजार ही करती रही। 

   मसलन ३६५ दिन सबने  ने आशंका में बिताया। शादी की पहली वर्षगांठ थी ,बहू केक को ना देख छत ताक  रही थी ,आज मियाद की आखिरी तारीख थी ,अब छत गिरने की हादसा ही हो सकती थी। राम राम कर एक साल बीत गया एक बड़ी हादसा के इन्तेजार में। ३६६ वें दिन सासू- माँ फिर अपने बेटे और बहू को ले बाबा जी के पास पहुंची आशीर्वाद हेतू कि उस हादसे बारे में खबर मिली जो पिछली रात हुई थी जिसमें बाबा जी अपने चेले सहित परलोक सिधार चुके थे। 



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें