शनिवार, 29 अक्टूबर 2016

लाल अनार- chitr pratoyogita me pratham aayi rachna

लाल अनार
(चित्र आधारित)

 "अरे अपने साथ डिब्बे में ये छठा  कौन है, जिसकी रूप-रंग हमारी जैसी है पर खुशबू हमारी माटी की नहीं है?", डिब्बे में बंद एक लाल अनार ने पूछा.
सुसुप्त पड़े बाकी चार अनार भी जागृत हो उठें और छठे पर टूट पड़े. अब तक चुपचाप सा बैठा छठा  लाल अनार अट्टहास कर उठा,
"हाहा मैं हूँ तुमसब का उद्धारक,  तुच्छ बेफकूफ पटाखे मैं तुम सब का बाप हूँ, मैं 'टाइम बम' हूँ. मेरे आका ने मुझे बेहद सावधानी से तैयार किया  है और बड़ी ही चतुराई से तुमसब के बीच बैठा दिया है. अभी इस स्कूल में  बच्चों के बीच ये संस्था वाले  पटाखे बांटेगी. ठीक आधे घंटें के अंदर मैं अपना काम कर चुका हूँगा. कल  त्यौहार के दिन तुम्हारे देश में मैं मातम का माहौल बना दूंगा, हाहा....",कहता वह आँखे मींज तूफान के पहले की शांति  के आनंद भाव में आ गया.
पाँचों लाल अनार सहम कर दुबक गए, पहले ने थोड़ा कसमसा कर डिब्बे के ढक्कन को उचकाया. देखा सफाई कर्मी समारोह के पहले वहां सफाई कर रही थी. बच्चों ने उस जगह बहुत कचरा जो फैला रखा था. आँखों -आँखों में बातें हुईं और अगले ही क्षण वह दुश्मन  देश का अनार रूपेण टाइम बम कचरे के ऊपर गिरा पड़ा था. बाकि चारों कुछ समझतें उससे पहले पहला अनार ये बोलता नीचे कूद पड़ा कि,
"इसे वक़्त से पहले स्कूल से दूर करना ही होगा, अलविदा दोस्तों जय हिन्द"
सफाई कर्मी घूंघट डालें जल्दी जल्दी कचरे को साफ़ करती स्कूल के बाहर झाड़ू देने लगी. अपनी औकात बराबर वह लाल अनार भी कोशिश कर रहा था कि वह बम किसी की नज़र में ना आये. आधा घंटा बस होने को ही था, उसने स्कूल की तरह देखा शायद आखिरी बच्चा भी स्कूल के अंदर जा चुका था.

"बेफकूफ पटाखे तुम्हे इल्म नहीं तुम क्या कर रहे हो शहादत की राह के दुश्मन. उन बच्चों के मरने के साथ ही मैं शहीद हो जाता, हो सकता था कि तुम्हे भी मेरें साथ जन्नत की हूरें नसीब हो जाती. अब बेकार इस सुनसान राह पर फट मेरी कुर्बानी मिटटी में मिल जाएगी", टाइम बम अब बेबसी से चीख रहा था.
तभी जोर की आवाज आई उस महिला सफाई कर्मी के साथ एक छोटा सा अदना सिपाही भी देश की माटी में मिल चुका था. चुटकी भर देश भक्ति के बारूद से बना उस  लाल अनार ने  शहीद होने से ठीक पहले बच्चों की किलकारियां सुन सुकून की आखरी सांस ले चुका था.


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