पुण्य-कर्म
(स्वच्छता अभियान विषय अंतर्गत)
"ओ! कचरे वाले, ओ कचरे ...वाले जरा इधर आना ",
कचरे की बड़ी बड़ी थैलियाँ लिए रेहाना चिल्लाते हुए बुला रही थी. पर सड़क की दूसरी ओर कचरा पेटी साफ़ करता वह व्यक्ति पूरे मनोयोग से सफाई में व्यस्त था.
"ओ कचरा वाले क्या सुनाई नहीं दे रहा? मैं कब से पुकार रही हूँ", रेहाना ने खीजते हुए कहा.
वह व्यक्ति अभी भी अपने काम में व्यस्त था, कचरा, पेटी से ज्यादा बाहर सड़क पर अधिक बिखरा पड़ा था. इस बीच रेहाना, कचरा वाला-कचरा वाला का शोर मचाते रही. कुछ देर बाद उधर की सफाई पूरी कर अपनी कचरा ढोने वाली साइकिल चलाता हुआ वह रेहाना के दरवाजे पर आया. तब तक रेहाना का पारा पूरा चढ़ चुका था.
"इतनी देर से बुला रहीं हूँ, बहरे हो क्या? रेहाना ने पूछा.
"पर सुनता तब न, जब आप मेरा नाम ले कर बुलाती", उसने कहा.
"बोल तो रहीं थी, कचरा वाला कचरा वाला ......"
"ये तो आप अपना नाम बता रहीं थीं", उसने मुस्कुराते हुए कहा.
"क्या बकबक कर रहे हो?", रेहाना ने चिढते हुए कहा.
"तो फिर क्या कहूँ तुमलोगों को जो हमसे कचरा ले कर जातें हो?" फिर अचकचाते हुए उसने सवाल किया.
"आप हमें सफाई-कर्मी कहें, वैसे भी हम आपलोगों की हर तरह की गंदगियों को साफ़ करतें हैं. सिर्फ छिलके या जूठन नहीं बल्कि मानसिक-शारीरिक विकारों को भी, ये देखिये", उसने अपने दोनों हाथ में कुछ दिखाते हुए कहा. कुत्तों के द्वारा नुची एक सद्यःजन्मी बालिका के शव को देख अब रेहाना का सर चकराने लगा.
"सफाई-कर्मी तुम ठीक कहते हो, दरअसल कचरे वालें तो हम हैं . वैसे तुम्हारा नाम क्या है ?" रेहाना के स्वर में अब नरमी थी.
"छोडिये मैडम जी आप सफाई-कर्मी ही कहिये", आँखों में आती नमी को सँभालते हुए उसने उससे कचरे की थैलियाँ ले ली और और बच्ची के शव के साथ उन्हें अपने साइकिल के साथ लगी कचरे पेटी में डाल अगले घर की तरफ पुण्य-कर्म करने चल दिया.
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