गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

लघु कथा (13 ) - संस्कार

संस्कार 



सविता जी अपनी गर्भवती बहू को रामायण पढ़ने की सलाह दे रहीं थी ताकि राम सा पुत्र हो। तभी कॉलेज से लौटती ननद,राधिका ने कहा ,"भाभी राम सा पुत्र हो ,पर कुछ संस्कार रावण के भी हों "

"क्या अनाप -शनाप बोल रही हो?" सविता जी बिफर पडी। 
नन्ही भतीजी को गोद में उठा राधिका ने कहा,"कम से कम भाई रावण जैसा हो ही अन्यथा आज कल तो भाई अपने बॉस द्वारा घूरे जाने पर सर झुका अनजान बन जातें हैं ".
सविता और उसकी बहू की सवालियां निगाहें रमेश की तरफ घूम गयी जो फिर एक बार अनजान ही बना हुआ था पूरी गुफ्तगू से।






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