शनिवार, 26 दिसंबर 2015

मैं चुप नहीं रहूंगी

मैं  चुप  नहीं रहूंगी

"माँ मुझे  भी ढूध दो न ,मेरी भी रोटी में घी चुपड़ दो न "
चुप रह
"माँ  मैं ही क्यूँ करूँ घर के काम ,भैया  क्यूँ नहीं करता ? "
चुप रह
"पिताजी आपने मुझे सहेली के घर जाने नहीं दिया ,पर भैया को रात में भी निकलने से कुछ नहीं कहा  ?"
चुप रह
"भैया अभी तक पढ़ाई कर रहा है ,मेरी क्यूँ छुडवा रहें ?"
चुप रह
"पिताजी आप  खेत ना बेचे दहेज़ के लिए ,मुझे शादी नहीं करनी "
चुप रह
"माँ,मुझे कम दहेज़ लाने के लिए सताया जाता है ,मैं ससुराल नहीं जाउंगी "
चुप रह
"मेरे पेट में पलने वाला बच्चा लड़की है ,मैं इसे नहीं मारूंगी .मैं इसे जन्म दूंगी और जो मैं नहीं कर पाई इसे करने का अवसर दूंगी "
"अब मैं चुप नहीं रहूंगी "
इस हिम्मत के बाद हर वो  हाथ जो उसका मुहं बंद कर उसे लड़की होने की सजा देने कोशिश करता ,उसे मात खानी पड़ी .


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