बुधवार, 13 अप्रैल 2016

प्रतिष्ठा

प्रतिष्ठा 
आज सुबह के अख़बार में उनकी जेल जाती हुई तस्वीर छपी थी. कितना दंभ भरते थे अपनी आन-बान और शान की. साल भर पहले की ही बात थी, रामप्रवेश बाबू को याद हो आया जब रसिका ने उनके बेटे से प्रेम विवाह की इच्छा जाहिर किया था. दोनों बच्चों ने साथ पढाई किया था और एक ही सी नौकरी पर लगे थें. परन्तु उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा और मान का इतना हवाला दिया था कि कहीं रामप्रवेश बाबू के द्वार बारात ले कर आने में उनकी नाक न कट जाये. सो रामप्रवेश जी ने अपना घर गिरवी रख कर शानदार पांच सितारा स्वागत का इंतजाम किया था. दहेज़ ना लेने का कितना एहसान जताया था उन्होंने. इसकी एवज में रामप्रवेश जी बेटी से छुपा कर उसकी खुशियों की खातिर उनकी जायज –नाजायज मांगों को पूरा करतें गएँ थे ताकि समधी जी की नाक ऊँची बनी रहे समाज में. सारा कुछ रील की तरह गुजर गया मानस पर क्षणांश में. कल एंटी करप्शन ब्यूरो ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया था. अचानक अख़बार रामप्रवेश जी के हाथ से छूट नीचे कीचड़ में जा गिरी और उनके समधी की चित्र पर अब कीचड़ फैल गया था.




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