गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

लघु कथा -(6) बेनूर अमीरी

 बेनूर अमीरी 



  कल देर रात विक्की पार्टी से पी कर घर लौटा था और आते ही कोहराम सा मच गया ,तोड़-फोड़ और गाली गलौज। सविता और राजेश दुखी हो रात भर हिसाब करते  रह गएँ कि भूल कहाँ और कैसे हुई जीवन के गणित में।  
   सुबह रामू काका का भतीजा,मनोज आया था काम करने उनकी जगह। रात की बर्बादियों को समेट उसने धो-पोंछ सब साफ़-सुथरा कर दिया था। खाना टेबल पर बना कर रख दिया और एक कोनें में बैठ मोटी सी किताब निकाल पढ़ने लगा। 
  "देखूं क्या पढ़ रहे हो ?"सविता ने पुछा 
" ऑन्टी जी मैं यू पी एस सी की प्रारंभिक परीक्षा क्लियर कर चुका हूँ ,सो मुख्य परीक्षा की तैयारी हेतु शहर चाचा जी के पास आया हूँ। "
 तभी विक्की की नींद खुल गयी और वह कुछ चीखता हुआ उल्टियाँ करने लगा। 

      मनोज पानी ले उसके कमरे की तरफ दौड़ा। अमीरी को गरीब के समक्ष बेनूर होते देखती रह गयी सविता। 

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