मंगलवार, 26 मई 2015

मेरा संछिप्त परिचय

परिचय –
 परिचय
विज्ञान की छात्रा रही और प्यार हिंदी साहित्य से करती रही। वनस्पति विज्ञान में स्नात्कोत्तर फिर शादी। पति कोल माइन्स में अभियंता हैं सो फिर जीवन कोलियरी में कटता रहा। पढाई की भूख कभी मिटी ही नहीं, ओपन यूनिवर्सिटी से कई छोटे बड़े कोर्स किये। स्वेच्छा से घर और बच्चे सम्भाले और कभी नौकरी नहीं किया। हर दोपहर गरीब बच्चो को पढ़ाना  और पढाई से सम्बंधित उनकी जरूरतों को पूरा करना मेरी आत्मा को संतुष्ट करती है।  अपनी दोनों बेटियों को मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ वक़्त और मार्गदर्शन दिया। बहुत छोटे और अन्दुरुनी जगहों पर रहते हुए भी मैंने विचारों और सपनों को नवीन और उच्च रखा। अपने जीवन और सपनो पर मेरा नियंत्रण नहीं था पर भगवान ने दो बेटियों के रूप में मुझे दो बार अपने सपने पूरे करने का अवसर प्रदान किया। उनके परवरिश के साथ - साथ मैं अपनी साहित्यिक अभिरूचियों को भी समृद्ध करती रही।
लिखना या यूं कहें भावनाओं की अभिव्यक्ति जीवन में बहुत देर से शुरू किया, एक तरह से अर्धशतक के कुछ पहले. ज्यादातर कलम से दिल की  बात ही करती हूँ. राष्ट्रीय  स्तर की  सभी  पत्र- पत्रिकाओं में नियमित रूप से मेरी लघुकथाएं, लेख और कहानियाँ छपती हैं. तीन साँझा लघु कथा संग्रह," मुठ्ठी भर अक्षर ",”अपने अपने क्षितीज” और  "बूँद बूँद सागर" और एक साँझा कहानी संग्रह “चंद कदम” छप कर आ चुकी है । दिल्ली प्रेस के साथ जुड़ कर मेरे जीवन को एक नयी सोच और दिशा की प्राप्ति हुई है.
बस परिचय इतना इतिहास यही।




नाम - रीता गुप्ता
कोरबा ,छत्तीसगढ़








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