सोमवार, 6 जुलाई 2015

कांटेदार अंकुर

कांटेदार अंकुर 

पसीना पोंछती हैरान परेशान ज्योति थोडा सुस्ताने उस रेस्तरां में जा कर बैठी ही थी कि उसकी नजर सामने बैठे हँसते मुस्कुराते आपस में खोये हुए जोड़े पर पड़ी .उस मर्द को देखते ही वह चौंक गयी.मोहित को अपनी पत्नी और बच्चे के साथ देख ज्योति का सर्वांग सुलग उठा .घरवालों द्वारा शादी तय करने के एक साल बाद अधिक दहेज़ की खातिर ,मोहित और उसके घरवालों ने एक झूठा लांछन लगा मंगनी तोड़ दिया था .तीन साल बीत गए.सदमे में माँ -बाबूजी चल बसे. ज्योति की अंदर की ज्वाला सुलग उठी.
उठ कर दोनों के पास चली गयी ,मोहित देखते ही सकपका गया .
“बड़ा प्यारा सा बच्चा है ,इसकी एड्स की जाँच जरूर करवा लेना .कहीं इसके बाप को मुझसे हो न गया हो “ मोहित अब हतप्रभ था .
तेज कदमों से वह रेस्तरां से बाहर हो गयी .
ज्योति के जीवन को तपता रेगिस्तान सा वीरान और शुष्क करने वाले के आँगन में नागफनी का अंकुर प्रस्फुटित हो चुका था .












चित्र-साभार---  गूगल  

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