कल रात मुझे एक
समारोह में “बेस्ट सिटी प्लानर “ का अवार्ड मिला था . अगली सुबह अपने बेटे को ले
मैं उस कॉलोनी में गया .
“देखो जहां तक निगाह
जा रही है ,वह सब मेरा बनाया हुआ है “,मैंने बेटे को कहा .
“सच पापा ,इतना
सुंदर नीला आकाश आपने बनाया ?”
“अरे नहीं ,ये नहीं “
“ओह ! वह सफ़ेद
बादलों का झुण्ड आपने बनाया ? कैसे पापा ?”
“धत ! वह भी नहीं”
अब उसकी ऊँगली उगते
सूरज कि तरफ जा रही थी .........
रात पुरस्कार पाने के बाद हुआ गर्व जो गुरूर में तब्दील होने जा रहा था ,वहीँ थम गया .
रात पुरस्कार पाने के बाद हुआ गर्व जो गुरूर में तब्दील होने जा रहा था ,वहीँ थम गया .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें