शनिवार, 11 जुलाई 2015

अहंकार

कल रात मुझे एक समारोह में “बेस्ट सिटी प्लानर “ का अवार्ड मिला था . अगली सुबह अपने बेटे को ले मैं उस कॉलोनी में गया .
“देखो जहां तक निगाह जा रही है ,वह सब मेरा बनाया हुआ है “,मैंने बेटे को कहा .
“सच पापा ,इतना सुंदर नीला आकाश आपने बनाया ?”
“अरे नहीं ,ये नहीं “
“ओह ! वह सफ़ेद बादलों का झुण्ड आपने बनाया ? कैसे पापा ?”
“धत ! वह भी नहीं”
अब उसकी ऊँगली उगते सूरज कि तरफ जा रही थी .........
रात पुरस्कार  पाने के बाद हुआ गर्व जो गुरूर में तब्दील होने जा रहा था ,वहीँ थम  गया .





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