किश्तों में मौत
पहली बार वह तब मरी जब पांच संतानों में एक की उल्टियाँ रूक ही नहीं रही थी। उस जवान बेटे को जब डॉक्टर ने कैंसर बताया ,मौत सिर्फ बेटे की नहीं उसकी भी पास आने लगी। दुनिया में सब से भारी अपनी संतान की अर्थी होती है ,उस बोझ तले दम ऐसा घुटता है कि जिंदगी सांस लेना भूल जाती है। फिर वह तो एक बूढी होती माँ थी जिसके घुटने यूं ही जवाब दे चुके थे और आँखे धुंधली हो चली थी। बेटे की मौत के बाद ईश्वर क्या उसकी जीवन लेता उसने खुद ही शरीर छोड़ दिया था। बाकी बच्चे आत्मा विहीन शरीर को डॉक्टर के हवाले कर लिपट चिपट उससे ना जाने की दुहाई दे रहें थे। कल बेटी की जन्मतिथि पर उसे जन्म देने वाली अपनी पुण्यतिथि लिखा गयी। हर दिन किश्तों पर मरती माँ की कल आखिरी किश्त थी।
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