“रात गयी बात गयी” शीर्षक अंतर्गत
उस रात की सुबह नहीं
“ यही तो बोला था मैंने कि, क्यूँ और कैसे इतने बुरे अंक आ गए ? प्री बोर्ड में इतने कम आयें हैं तो बोर्ड में क्या होगा “
“ दो थप्पड़ ही तो लगाये थे ,क्या इतना भी हक नहीं बनता माँ का ?”
एक महीने से सविता बस यही रट लगाये ,अपना सर धुन रही थी .
कम अंक लाने पर रोहन से सविता ने थोड़ी सख्ती दिखाई थी . रोहन गुमसुम सा अपने कमरे में चला गया था . उस रात माँ-बेटे में किसी ने भी खाना नहीं खाया .
सुबह सविता को लगा कि चलो रात गयी बात गयी ,बेटे को कुछ खिला पिला कर दुलार से फिर से समझा दिया जाये .रोहन के पसंद के पराठें ले वह कमरे का दरवाजा खटखटाने लगी,कुण्डी नहीं लगी थी सो यूं ही खुल गया . सामने का दृश्य देख थाली गिर पड़ा था .
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