मंगलवार, 28 जुलाई 2015

क्या यही श्रद्धा है ?

क्या यही श्रद्धा है ?
 -एक संवाद
“हे ईश्वर “
“मेरे बच्चे की तबियत ठीक कर दो “
“धन्यवाद ! भगवान्  आपने उसे चंगा कर दिया “
“मेरा तबादला रुकवा दो ,ईश्वर“
“भगवान नहीं होता,वरना इतनी प्रार्थना के बाद तबादला रूक ना जाती”
“मेरे पति सकुशल वापस आ जाएँ घर “
“धन्यवाद भगवान् “
“मेरे बेटे का सर्वश्रेष्ठ कॉलेज में दाखिला दिला दो “
“इतनी मिन्नतों के बाद भी आपने उसे ,उस कॉलेज में दाखिला नहीं दिलाया, सब पूजा पाठ व्यर्थ गया “
.......इसके बावजूद भी मंदिर के बाहर भीड़ श्रद्धालु ही कहलाती है .










चित्र- गूगल से 



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