ममता के दो रूप
( बूँद बूँद सागर लघु कथा पुस्तक में संकलित )
( बूँद बूँद सागर लघु कथा पुस्तक में संकलित )
“सुनो जी ,हमारा
छोटू बिलकुल कमजोर है ,इसे तुम
घोंसले से बाहर नहीं ले जाया करो “चिड़ी ने चिड़ा से कहा.
ये सुन छोटू चिड़ा माँ की
गोद में और दुबक गया और सूकून से आँखों को मूँद लिया .
“छोटू लो तुम ये खाओ,तुम्हारी
पसंद की है जो मैं दूर पहाड़ियों से खोज कर लायी हूँ .”
जब चिड़ी कहीं बाहर गयी होती
तो चिड़ा जबरदस्ती छोटू को घोंसले से बाहर उड़ना सीखाने के लिए ले जाता पर कुछ ही
देर में उसपर आलस्य हावी हो जाता और बहाने बना घोंसले में लौट माँ का इन्तेजार
करने लगता .उसके साथ के दूसरे बच्चे अब आकाश में स्वतंत्र उड़ने लगे थे,कुछ ने तो अपने घोंसले भी
बना लिए थे .चिड़ा चिड़ी को समझाने की कोशिश करता ,पर ममता की चादर उसकी समझ से हटते ही नहीं थे
.बरसात आ चुका था ,चिड़ी
कमजोर होती जा रही थी क्यूंकि ,छोटू
बैठा उसके हिस्से का भी डकार रहा था .
बढ़िया
जवाब देंहटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंआभारी हूं जो आप मेरे ब्लाग तक आईं।
जवाब देंहटाएं