शुक्रवार, 22 जनवरी 2016

ममता के दो रूप

 ममता के दो रूप 
( बूँद बूँद सागर लघु कथा पुस्तक में संकलित )
सुनो जी ,हमारा छोटू बिलकुल कमजोर है ,इसे तुम घोंसले से बाहर नहीं ले जाया करो चिड़ी ने चिड़ा से कहा.
ये सुन छोटू चिड़ा माँ की गोद में और दुबक गया और सूकून से आँखों को मूँद लिया .
छोटू लो तुम ये खाओ,तुम्हारी पसंद की है जो मैं दूर पहाड़ियों से खोज कर लायी हूँ .
जब चिड़ी कहीं बाहर गयी होती तो चिड़ा जबरदस्ती छोटू को घोंसले से बाहर उड़ना सीखाने के लिए ले जाता पर कुछ ही देर में उसपर आलस्य हावी हो जाता और बहाने बना घोंसले में लौट माँ का इन्तेजार करने लगता .उसके साथ के दूसरे बच्चे अब आकाश में स्वतंत्र उड़ने लगे थे,कुछ ने तो अपने घोंसले भी बना लिए थे .चिड़ा चिड़ी को समझाने की कोशिश करता ,पर ममता की चादर उसकी समझ से हटते ही नहीं थे .बरसात आ चुका था ,चिड़ी कमजोर होती जा रही थी क्यूंकि ,छोटू बैठा उसके हिस्से का भी डकार रहा था .

एक दिन, अचानक चिड़ा ने पंजा मार छोटू को घोंसले से गिरा दिया ,चिड़ी ने चीख कर आँखे बंद कर लिया .कुछ देर बाद चिड़ा के स्पर्श से उसने डरते हुए आशंकित मन से आँखे खोला .चिड़ा ने ऊपर आकाश की तरह इंगित किया ,जहाँ उनका छोटू दोनों डैनों को पसारे उड़ान भर रहा था . 


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